श्री नीम करोली बाबा एवं कैंची धाम — प्रेम, सेवा और आत्मिक परिवर्तन का पावन धाम

 

नीम करोली बाबा कौन थे?

 

श्री नीम करोली बाबा, जिन्हें प्रेमपूर्वक महाराजजी कहा जाता है, 20वीं शताब्दी के एक महान संत, हनुमान भक्त और अद्वितीय आध्यात्मिक गुरु थे। उनका जन्म लक्ष्मण नारायण शर्मा के रूप में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गाँव में हुआ था। कम उम्र में ही उन्होंने सांसारिक जीवन का त्याग कर भारतभर में तीर्थ यात्रा और साधना आरंभ की। उनका जीवन असीम प्रेम, निस्वार्थ सेवा और भक्ति का प्रतीक था।

 

कैंची धाम — दिव्य ऊर्जा का केंद्र

 

उत्तराखंड के नैनीताल और अल्मोड़ा के बीच, शांत और सुरम्य कुमाऊँ पर्वतों में बसा है कैंची धाम। 1960 के दशक में नीम करोली बाबा ने यहां पवित्र आश्रम की स्थापना की। “कैंची” नाम सड़क के दो नुकीले मोड़ों के कारण पड़ा, जो कैंची के ब्लेड की तरह दिखते हैं।

 

आश्रम में स्थित हैं:

 

समाधि मंदिर — जहां महाराजजी ने गहन ध्यान साधना की

हनुमान मंदिर, शिव मंदिर और देवी मंदिर

 

 

15 जून का वार्षिक भंडारा और मेला

 

हर वर्ष 15 जून को कैंची धाम में भव्य स्थापना दिवस मेला और भंडारा आयोजित होता है। हजारों भक्त यहां आते हैं और मान्यता है कि बाबा के आशीर्वाद से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता।

 

नीम करोली बाबा के चमत्कार और उपदेश

महाराजजी के जीवन में अनेक चमत्कार घटे, पर उन्होंने हमेशा इसका श्रेय ईश्वर की कृपा और श्रद्धा को दिया। उनके प्रमुख संदेश थे:

 

हर प्राणी में ईश्वर का दर्शन करो

निस्वार्थ भाव से सेवा करो

प्रेम ही परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग है

दुनियाभर में उन्होंने असंख्य लोगों को प्रेरित किया। उनके पश्चिमी भक्तों में राम दास, स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग जैसे नाम भी शामिल हैं।

 

कैंची धाम की यात्रा — क्या ध्यान रखें?

आश्रम में दर्शन, ध्यान और सेवा का अवसर मिलता है।

रात में रुकने की सुविधा सीमित है, केवल विशेष अनुमति या संदर्भ से ही ठहर सकते हैं।

परिसर में शांति, स्वच्छता और अनुशासन का पालन करें।

ठहरने और यात्रा के लिए केवल आधिकारिक या विश्वसनीय स्रोतों का ही उपयोग करें।

भीड़ के समय विशेषकर जून के मेले में यातायात और स्वच्छता की चुनौतियाँ आ सकती हैं।